रामनगर क़िले की ख़ास बात
इस जगह पर लोग घूमने के साथ साथ इतिहास को देखने और समझने के लिए आते हैं। इस जगह पर आकर आप इस जगह के पर्यटन स्थल, खानपान और जीवन को समझ सकते हैं।
Ramnagar Fort of Varanasi: वाराणसी में स्थित रामनगर क़िले को राज्य का प्रमुख पर्यटन स्थल माना जाता है। इस जगह पर लोग घूमने के साथ साथ इतिहास को देखने और समझने के लिए आते हैं। इस जगह पर आकर आप इस जगह के पर्यटन स्थल, खानपान और जीवन को समझ सकते हैं। इस जगह का अपना एक बहुत ही बड़ा और विशिष्ट इतिहास रहा है, उसके एतिहासिक महत्व को भी आप समझ सकते हैं। आप काशी के राजा रजवाड़ों की शानों शौकत को देख सकते हैं। इस जगह पर एक बहुत ही ख़ूबसूरत संग्रहालय भी स्थित है जो इस जगह के बारे में काफ़ी कुछ बताता है।
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रामनगर किले का ये है इतिहास
रामनगर किले का अपना एक बहुत बड़ा महत्व और इतिहास है। यह किला गंगा के पूर्वी तट पर राजा मंशाराम द्वारा 1742 में स्थापित किया गया था। जिसका महत्व आज भी बना हुआ है। देश की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अन्य देशी रियासतों की तरह यहां भी राजतंत्र की समाप्ति हो गई और बनारस स्टेट, देशी रियासत का भी भारतीय गणराज्य में विलय हो गया। रामनगर दुर्ग में संग्रहीत अति दुर्लभ कलाकृतियों को सुरक्षित रखने के विचार से महाराजा विभूति नारायण सिंह ने दुर्ग के अंदर ही एक संग्रहालय में समस्त राजसत्ता और राज परिवार की कलाकृतियों को कई वीथिकाओं में सुसज्जित कराकर रखा था।
संग्रहालय की ये हैं खास बातें
रामनगर संग्रहालय इस किले का सबसे ख़ास और जरुरी हिस्सा है। इसमें बहुत ही खूबसूरती से नक्काशी की गई है जोकि आपको बालकानी, भव्य मंडप और खुले आंगन के रूप में दिख जाएगा। इस संग्रहालय में कई प्राचीन वस्तुओं को भी संग्रहित करके रखा गया है। जिसमें कई प्राचीन घड़ियां, शास्त्रागार, तलवारें, बंदूकें, विनटेज कार और हाथी के दांतों की बग्गी सहमिल है। इस जगह पर पालकी और हाथी के दांत ही नहीं बल्कि इससे निर्मित कई अन्य सामानों के साथ ही वाद्ययंत्र भी शामिल हैं। शाही परिवारों के मध्ययुगीन वेशभूषा, आभूषण और फर्नीचर आदि शामिल है। इस जगह पर आपको मध्यकालीन युग के राजा-रजवाड़ों की शानों शौकत का नजारा देखने को मिलेगा।
खगोलीय घड़ी है आकर्षण का केंद्र
इस जगह पर देखने के लिए सबसे अद्भुत और दुर्लभ चीज़ खगोलीय घड़ी है। यह घड़ी ना केवल समय बताती है बल्कि साल, महीना, सप्ताह और दिन के साथ-साथ सूर्य, चंद्र और अन्य ग्रहों का खगोलीय विवरण भी देती है। इस घड़ी का निर्माण वर्ष 1852 में बनारस के शाही दरबार के खगोलविद मूलचंद ने किया था।
किले का निर्माण
इस किले का निर्माण राजा बलवंत सिंह ने कराया था। 17वीं शताब्दी में बना यह महल कभी काशी नरेश का शाही निवास था। इस संग्रहालय का सबसे अहम हिस्सा विद्या मंदिर है, जो शासकों के काल की अदालत का प्रतिनिधित्व करता है। इस किले में रखी चांदी का सिंहासन, तोप और कई ऐसी चीजें हैं जो अंग्रेजों के समय की याद दिलाती हैं।
अंतररार्ष्ट्रीय संग्रहालय दिवस का इतिहास
पूरे विश्व में 18 मई को अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस मनाया जाता है। इस मौक़े पर संग्रहालयों की विशेषता और उनके महत्व को समझते हुए संयुक्त राष्ट्र ने इस तिथि को अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के रूप में मनाने का निर्णय किया था। इसका उद्देश्य आम जनता में संग्रहालयों के प्रति जागरूकता फैलाना और उन्हें संग्रहालयों में जाकर अपने इतिहास को जानने के प्रति जागरूक बनाना है।
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