जानिए मंडला का गोंड स्मारक क्यों है खास? पूरी जानकारी : Gond

हमारे देश को विविधताओं का देश कहा जाता है। यह सिर्फ़ पर्यटन ही नहीं बल्कि भौगोलिक और एतिहासिक रूप से भी काफी सम्पन्न माना जाता है। मध्य प्रदेश के मंडल

Gond Memorial Mandla: हमारे देश को विविधताओं का देश कहा जाता है। यह सिर्फ़ पर्यटन ही नहीं बल्कि भौगोलिक और एतिहासिक रूप से भी काफी सम्पन्न माना जाता है। मध्य प्रदेश के मंडला जिले में गोंड राजाओं का भी एक बहुत ही समृद्ध इतिहास रहा है, जिसकी झलक आपको रामनगर में देखने को मिलती है। इस जगह पर आकर आपको लगभग 350 साल पुराने उस स्मारक को देखना चाहिए जिसे गोंड राजा हृदयशाह ने 1667 में बनवाया था। वर्तमान में इस स्मारक को मोती महल के नाम से जाना जाता है। जिसे देखने के लिए देश दुनिया के कोने-कोने से सैलानी आते हैं। मोती महल किले को लेकर कई तरह की मान्यताएं और कहानियां बताई जाती हैं। इस महल की सबसे खास बात यह है कि इसकी दीवारों को कभी भी अंग्रेजी हुकूमत हिला नहीं पाई थी। 

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Gond Memorial Mandla
Special things related to the palace

मोती महल मध्यप्रदेश के सबसे लोकप्रिय किलो में आता है। जिसकी वजह से इस जगह पर देश भर से सैलानी आते हैं। यह क़िला बहुत ही भव्य और ख़ूबसूरत है। ऐसा बताया जाता है कि यह अपने निर्माण के समय नर्मदा नदी से 80 फीट की ऊंचाई पर था। इस महल के आंगन की दीवारों पर कुछ लेख अंकित किए गए हैं जिसमें गोंड राजवंश की वंशावली दी गई है। इस वंशावली में संस्थापक जादौराय से लेकर हृदयशाह तक का नाम शामिल है। इस किले में एक  हाथीखाना भी बनाया गया है, जिसमें हाथियों को रखा जाता था। हाथीखाने के पास ही उस समय घोड़ों को रखने की भी व्यवस्था की गई थी। 

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Moti Mahal
Tunnels of Moti Mahal

मोती महल एक बहुत ही भव्य क़िला था। जिसमें रानी महल और रायभगत कोठी भी थी। महल का मुख्य द्वार नर्मदा नदी की ओर स्थित है। इस महल का आकार आयताकार है जिसके भीतर विशाल आंगन है और बीच में एक विशाल कुंड बनाया है। मोती महल की हर मंजिल पर बहुत-से छोटे-बड़े कमरे बने हुए हैं। इन कमरों में कभी राजा का निवास हुआ करता था। ऐसा बताया जाता है कि मोती महल में कुछ सुरंगे भी हैं जो जबलपुर के मदन महल और मंडला के किले में खुलती हैं। इस जगह पर आपको ज़रूर जाना चाहिए। 

मोती महल से जुड़ी कई ऐसी किंवदंतियां हैं जो स्थानीय लोगों में आज भी बहुत ज़्यादा प्रसिद्ध हैं। एक किंवदंति के अनुसार कहा जाता है कि राजा हृदयशाह को राजतंत्र के अलावा तंत्र-मंत्र और काला जादू में भी महारत हासिल थी जिसकी वजह से किसी को भी प्रसन्न कर सकता था। एक बार उसके साम्राज्य में अकाल और भुखमरी की स्थिति पैदा हुई तो वह घोर तपस्या करके माता अन्नपूर्णा तक को प्रसन्न कर लिया था। जिससे माता ने उसके साम्राज्य में ढाई दिन और ढाई रात तक सोने-चांदी और हीरे-जवाहरात की बरसात होने का वरदान दिया था। माता ने आशीर्वाद दिया था कि उसके साम्राज्य में कभी अकाल नहीं पड़ेगा। कुछ लोग आज भी इस किंवदंति पर विश्वास करते हैं। कहा जाता है कि आज भी लोग मकान बनाने के लिए जमीन खोदते हैं, तो कहीं न कहीं सोने-चांदी के सिक्के मिल जाते हैं। 

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