जानें आदि कैलास है कहां?
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Adi Kailash : कैलास मानसरोवर पुरे वर्ष भर बर्फ की सफेद चादर में लपेटा हुआ भोलेनाथ(GOD SHIVA) का निवास स्थान है। जीसके दर्शन पाकर हर भक्त न केवल भोलेनाथ से प्रार्थना करता है, बल्कि खुद को धन्य भी समझता है।ऐसा मानते हैं कि यह पर्वत अपने आप बना हुआ है। कैलास मानसरोवर(KAILASH MANSAROVAR) की प्राचीनता हमारी सृष्टि से अधिक है।
इस पवित्र स्थान पर ध्वनि और प्रकाश तरंगों का एकीकरण होता है, जो “ओम” की प्रतिध्वनि करते हैं। हर भारतीय की आत्मा इस पावन स्थान को पवित्र मानती है। बीते वर्ष, कई ने कैलास मानसरोवर की यात्रा की थी।
![adi kailash yatra](https://i0.wp.com/makematrip.com/wp-content/uploads/2024/05/raimond-klavins-YAu3PRaJBFQ-unsplash.jpg?resize=1024%2C768&ssl=1)
चीन(CHINA) के साथ रिश्तों की उठापटक और कोविड की जारी समस्या अभी भी यात्रा पर हैं। ऐसे में, कुमाऊं मंडल विकास निगम, जो मानसरोवर यात्रा की मुख्य जिम्मेदारी निभाता है, अब आदि कैलास (ADI KAILASH)को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बना रहा है।
तो आइए जानते हैं कहां है आदमी कैलास, जहां जाने के लिए न तो पासपोर्ट की जरूरत है न ही वीजा(VISA) की, तो फिर इसे कैलास कहते हैं?
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भोलेनाथ माता पार्वती से शादी करना चाहते थे
![adi kailash parvat](https://i0.wp.com/makematrip.com/wp-content/uploads/2024/05/raimond-klavins-SA69d6PWMnQ-unsplash-1.jpg?resize=1024%2C768&ssl=1)
कैलास मानसरोवर पर्वत (KAILASH MANSROVAR PARVAT)के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। लेकिन भारत का आदि कैलास (ADI KAILASH)भी कैलास के समान है।
यह पंच कैलासों में से एक है। पुरानी मान्यताओं के अनुसार, भोलेनाथ माता पार्वती को पूजने के लिए जा रहे थे और इसी जगह उन्होंने अपना पड़ाव डाला था। आदि कैलास यात्रा को कैलास मानसरोवर यात्रा के बाद सबसे पवित्र माना जाता है।
आदी कैलाश कहा है:Where Is Adi Kailash?
![mount kailash](https://i0.wp.com/makematrip.com/wp-content/uploads/2024/05/raimond-klavins-V1yD4Uq_Y3g-unsplash.jpg?resize=1024%2C683&ssl=1)
Adi Kalash उत्तराखंड राज्य (UTTARAKHAND)में समुद्रतल से 6191 मीटर की ऊंचाई पर है, तिब्बत सीमा के पास है। इसे कैलास की नकल भी कहते है क्यों की ये बिल्कुल कैलास पर्वत के समान दीखता है । यहाँ जाने के लिए 105 किमी पैदल चलना होगा। छोटा कैलास भी आदि कैलास (ADI KAILASH)कहलाता है।
मानसरोवर :Mansarovar Lake
![kailash mansarovar lake](https://i0.wp.com/makematrip.com/wp-content/uploads/2024/05/image-6.png?resize=870%2C555&ssl=1)
कैलास मानसरोवर की तरह यहां भी एक पहाड़ी सरोवर है। इसे मानसरोवर भी कहते हैं। इसमें कैलास (ADI KAILASH)दिखाई देता है। सरोवर के किनारे एक शिव-पार्वती मंदिर(SHIV PARVATI TEMPLE) है। इस तीर्थ की यात्रा बहोत पुरानी है। लेकिन तिब्बत (TIBBET)पर चीनी कब्जे के बाद आम लोगों को इसके बारे में पता चला।
ये हैं पंच कैलास:Which Are Panch Kailash
आदि कैलास और कैलास मानसरोवर के अलावा तीन अन्य कैलास पर्वत हैं। कुल मिलाकर, इन्हें पंच कैलास कहा जाता है। आदि कैलास (ADI KAILASH), कैलास मानसरोवर(KAILASH MANSAROVAR), श्रीखंड (shrikhand kailash)और किन्नौर (KINNAUR KAILASH)कैलास इनके नाम हैं।
कैलास मानसरोवर (ADI KAILASH)पाँच कैलास में सबसे रहस्यमय है ओर ये चिनी कब्जेवाले तिब्बत मे है। कैलास पर्वत पर स्वयं शिवलिंग हैं। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई लगभग 6648 मीटर है। ग्रंथों में कुबेर (KUBER)की नगरी कैलास मानसरोवर के पास बताई गई है।
ऐसे कर सकते हैं आदि कैलास की यात्रा
![kailash mansarovar yatra trek](https://i0.wp.com/makematrip.com/wp-content/uploads/2024/05/raimond-klavins-R7IApAPpO9k-unsplash.jpg?resize=1024%2C768&ssl=1)
उत्तराखंड (UTTARAKHAND)के आदि कैलास(ADI KAILASH) तक पहुंचने में लगभग सात-आठ दिन लगते हैं। हालाँकि, कैलास मानसरोवर की तरह यहां पहुंचने के लिए कुछ औपचारिकताओं की आवश्यकता नहीं है।
ना ही पासपोर्ट (PASSPORT)लगता है और ना ही वीजा क्योंकि आदि कैलाश (ADI KAILASH)भारत के उत्तराखंड के राज्य में ही मौजूद है।उत्तराखंड के धरचुला कोर्ट(DHARCHULA) से ही यात्रा का परमिट मिलेगा।
इसके बाद आपको आधार कार्ड (ADHAR CARD)या कोई दूसरा पहचान पत्र देना होगा। परमीट मिलने के बाद सबसे पहले बु्द्धि तक पहुंचना होता है। फिर जौलिंगकोंग जाना होगा। ये पूरा क्षेत्र कुमांऊ जिले के पिथौरागढ़ जिले (DISTRICT Pithoragarh)में है। जो तिब्बत की सीमा के निकट है।
बाहरी यात्रियों के लिए दिल्ली से है सुविधा:How To Do Kailash Yatra From Delhi
![adi kailash trek](https://i0.wp.com/makematrip.com/wp-content/uploads/2024/05/image-8.png?resize=1024%2C496&ssl=1)
बाहर से आने वाले लोग भी दिल्ली (DELHI)से आ सकते हैं। पहले दिल्ली जाना होगा, फिर वहां से काठगोदाम, अल्मोड़ा, (ALMORA)सेराघाट और धारचूला जाना होगा। इस बीच, पर्यटक डीडीहाट में पातालभुवनेश्वर मंदिर देखते हैं। फिर धारचूला जाना होता है।
इसके बाद लखनपुर पहुंचने के लिए लगभग चालीस किलोमीटर की दूरी पर टैक्सी चलाना होगा। फिर पैदल कैलास पर्वत की यात्रा करनी होगी। पवित्र गौरीकुंड पहले दिखाई देता है। यह नहाने का धार्मिक महत्व बताता है।
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