धमनार में स्थित गुफाएं
मध्यप्रदेश जिले का एक राज्य है मंदसौर जिसमें शामगढ़ के समीप चन्दवासा स्थित कुछ गुफाएँ पायी गाईं हैं जिन्हें हम सब धमनार बौद्ध गुफाओं के तौर पर जानते है।
Dhamnar Caves: मध्यप्रदेश हमारे देश के प्रमुख राज्यों में आता है। इस राज्य में तरह तरह के पर्यटक स्थल और जैव विविधतायें मौजूद हैं, जिसमें तरह तरह के किले, बावड़ियों, झरनों और नदी पहाड़ियों की भरमार है। ऐसा ही मध्यप्रदेश जिले का एक राज्य है मंदसौर जिसमें शामगढ़ के समीप चन्दवासा स्थित कुछ गुफाएँ पायी गाईं हैं जिन्हें हम सब धमनार बौद्ध गुफाओं के तौर पर जानते है। यह भारतीय स्थापत्य कला की अद्भुत उदाहरण है। इन गुफ़ाओं को देखने पर थेरवाद और महायान बुद्धीज्म का स्पष्टतौर पर प्रभाव दिखाई देता है। यह सभी गुफाये पहाड़ियों को काट कर बनाई गयी हैं। धमनार इन गुफ़ाओं के मामले में बहुत ही समृद्ध है। इस जगह पर लगभग 150 गुफाएं मिली हैं जिनमें से 51 गुफाओं का संरक्षण ASI के पास है।
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धमनार गुफाओं का इतिहास
मंदसौर जिले में स्थित धमनार गुफाएं एक पहाड़ी पर स्थित हैं जिसे चंदन गिरी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा परट्टेट होता है कि इन गुफ़ाओं को तीसरी शताब्दी से लेकर 10 वी शताब्दी के मध्य में बनाया गया होगा। यह भी कहा जाता है कि पहले धमनार का प्राचीन नाम धम्मनगर था। इन गुफ़ाओं का कई जगहों पर एतिहासिक उल्लेख मिलता है। ओलीकर वंश के अभिलेखों में भी इन गुफ़ाओं का वर्णन है। इस जगह पर आकर आप इस गुफा से जुड़े तरह तरह की जानकारियों और रहस्यों को जान और समझ सकते हैं।
धमनार रॉक कट साइट
इस धमनार रॉक कट साइट में कुल 7 गुफायें हैं। इन गुफ़ाओं के इतिहास के अलावा इनके अंदर कई अन्य नक्काशीदार गुफाएं, स्तूप, मार्ग, चैत्य और आवास शामिल हैं। इस साइट में पूरी तरह से बौद्ध धर्म का प्रभाव दिखायी देता है। इस जगह पर निर्वाण मुद्रा में बैठे गौतम बुद्ध की बड़ी मूर्तियां शामिल हैं।1500 साल पहले लोग बुद्ध धर्म के वैश्विक स्तर पर प्रचार-प्रसार के लिए व्यापारियों की मदद ली जाती थी। ऐसा कहा जाता है कि गुप्त काल में मंदसौर का धम्मनगर बौद्ध विहार बना था। यह कभी बौद्ध धर्म की शिक्षा-दीक्षा का एक बहुत बड़ा केंद्र हुआ करता था।
धमनार बौद्ध गुफा और शिलालेख
मंदसौर के सौंधनी में स्थित यशोधर्मन के विजय स्तम्भ का एक बहुत ही बड़ा महत्व है। यशोधर्मन् के मंदसौर से कई अभिलेख मिले हैं। इस जगह से प्राप्त उसके दो अभिलेखों में इस बात का भी ज़िक्र मिलता है कि उसका अधिकार उन प्रदेशों पर भी था जो गुप्त राजाओं अधिकार में नहीं थे। यह एक बहुत ही विस्तृत साम्राज्य था। इस साम्राज्य के विजय के संबंध में इन अभिलेखो में कोई उल्लेख नहीं मिलता है। धमनार के इन शिला लेखों का ऐतिहासिक और पुरातात्विक रूप से बहुत ही विशेष महत्व है।
बौद्ध काल और मालवा
बुद्ध के जीवनकाल से ही अवन्ति बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण केन्द्र रहा था। इस काल में बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार बहुत ही तेज़ी से हुआ। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका भिक्खु महाकच्छायन की थी। भिक्खु महाकच्छायन का जन्म उज्जयिनी में हुआ था। इनकी बौद्ध धर्म में काफ़ी रुचि थी और उस समय के समकालीन राजा प्रद्योत ने भी बुद्धीज्म को स्वीकार कर लिया था। जिसकी वजह से बौद्ध धर्म के विस्तार में सहायता मि
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