रोहतांग पास के प्रति सैलानियों का आकर्षण
यह दर्रा समुद्र तल से लगभग 4111 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जिसकी वजह से इस जगह का वातावरण सैलानियों को बेहद ही पसंद आता है।
Rohtang Pass Tour: रोहतांग पास के प्रति सैलानियों का बढ़ता आकर्षण इसे हिमाचल के सबसे प्रमुख पर्यटक स्थलों में शुमार करता है जिसकी वजह से इस जगह पर देश भर से सैलानी पहुंचते हैं। इस जगह की ख़ूबसूरती और मौसम को एंजोय करना पसंद करते हैं। यह दर्रा समुद्र तल से लगभग 4111 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जिसकी वजह से इस जगह का वातावरण सैलानियों को बेहद ही पसंद आता है। कुछ लोग इस जगह को अभी भी रोहतांग दर्रा को भृगु तुंग के नाम से जानते हैं जोकि इसका पुराना नाम हुआ करता था। इस जगह का प्रतिपल बदलता मौसम लुभाता है। यह अब पर्यटकों के बीच पसंदीदा ट्रैवल डेस्टिनेशन बन चुका है। इस जगह पर हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक घूमने के लिए आते हैं।रोहतांग पास उत्तर में मनाली और दक्षिण में कुल्लू से 51 किमी दूर मनाली-लेह के रास्ते में पड़ता है। इस पास को लाहौल और स्पीति जिलों का प्रवेश द्वार के तौर पर भी जाना जाता है। इस जगह पर लगभग पूरे साल बर्फ की चादर बिछी रहती है।
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व्यास नदी का उदगम
रोहतांग पास से ही व्यास नदी का उदगम हुआ है जोकि बहुत ही ख़ास बात है। रोहतांग दर्रे के दक्षिण में व्यास कुंड बना हुआ है। इस जगह पर स्थित व्यास कुंड से ही व्यास नदी का उदगम होता है। इस कुंड का पानी बहुत बहुत ही अच्छा और ख़ास माना गया है। पौराणिक ग्रंथ महाभारत लिखने वाले महर्षि वेदव्यास जी को यह जगह बहुत ही ज़्यादा पसंद थी, उन्होंने इस जगह पर तपस्या की थी। महर्षि वेदव्यास की स्मृति में इस जगह पर एक मंदिर भी बना हुआ है।
हिमालय पर्वत श्रृंखला
रोहतांग पास आने वाले सैलनियो को हिमालय पर्वत श्रृंखला के बड़े ही मनोरम और ख़ूबसूरत दृश्य देखने को मिलते हैं। इस जगह पर पर्वतों से नीचे बादल दिखाई पड़ते हैं जिन्हें देखकर ऐसा लगता है कि हम हाथ बढ़ाकर उन्हें बहुत ही आसानी से छू सकते हैं। उनकी खूबसूरती को बहुत ही अच्छी से महसूस कर सकते हैं। यह एडवेंचर पसंद करने वाले पर्यटकों के लिए बहुत ही खास डेस्टिनेशन है। इस जगह पर आकर वे लोग आईस स्कीइंग और ट्रैकिंग जैसी गतिविधियाँ करना पसंद करते हैं।
कब जाएं यहां घूमने
रोहतांग पास घूमने के लिए सबसे अच्छा समय मई से अक्टूबर तक का माना जाता है। नवंबर से अप्रैल के बीच इस जगह पर बहुत ही बर्फ़बारी होती है जिसकी वजह से ज्यादातर समय खराब मौसम के चलते रोहतांग दर्रा बंद कर दिया जाता है। जिसकी वजह से इसका संपर्क बाहरी इलाकों से कट जाता है। रोहतांग दर्रा एक ठंडी और बर्फीली जगह के तौर पर जानी जाती है, इसलिए यहां जाने पर आप कोट और जूते अपने साथ जरूर ले जाएं।
कैसे पहुंचें और कहां रुकें?
रोहतांग पास जाने के लिए आपको मनाली या कुल्लू से गाड़ी मिल जाती है। अपनी निजी गाड़ी हो तो और भी अच्छा रहता है। रोहतांग पास मनाली से मात्र 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रोहतांग पास में पर्यटकों के ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं है। यह दर्रा सुबह चार बजे खुलता है और शाम चार बजे बंद कर दिया जाता है। ठहरने के लिए आपको वापस मनाली आना होगा।
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