Baidyanath Jyotirlinga In Hindi
Deoghar Tour Guide In Hindi
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वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग के बारे में 

बाबा बैद्यनाथ मंदिर देवघर, झारखण्ड – ज्योतिर्लिंगों में पाचवां श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखण्ड के देवघर में स्थित है। बैद्यनाथ जोतिर्लिंग होने के कारण इस स्‍थान को “देवघर” अर्थात देवताओं का घर कहते हैं। बैद्यनाथधाम में माता सती का हृदय गिरा था इसलिए यह स्थान एक शक्तिपीठ भी है। वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग में भोलेनाथ यहां आने वाले की सभी भक्तो की मनोकामनाएं पूरी करते हैं, इसलिए इस ज्योतिर्लिंग को ‘कामना लिंग’ भी कहते हैं।

 

बैजनाथ ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे?

हवाई जहाज से

देवघर में देवघर एयरपोर्ट बना है। यह कोलकाता और दिल्‍ली जैसे शहरों से यहां के लिए आसानी से फ्लाइट मिल जाएगी। यह देवघर एयरपोर्ट वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग मंदिर से लगभग 15 किलोमीटर दूर है। एयरपोर्ट से वैद्यनाथ मंदिर के लिए आप टैक्‍सी,  ऑटाे आदि से जा स‍कते है।

ट्रेन से

बैद्यनाथ रेलवे स्‍टेशन, जसीडीह रेलवे स्‍टेशन और देवघर रेलवे स्‍टेशन ये रेलवे स्‍टेशन वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग मंदिर के पास है। इन रेलवे स्‍टेशनों के लिए आप भारत के प्रमुख शहरों से ट्रेन ले सकते हैं। स्‍टेशन के बाहर से वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग मंदिर के लिए आप कैब, टैक्‍सी और ऑटो आदि से जा सकते है।

सड़क से

सड़क मार्ग से बैद्यनाथधाम सभी प्रमुख शहरों तथा राज्य या राष्ट्रीय मार्गों से जुड़ा हुआ है। जिससे आप सड़क मार्ग से भी वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग मंदिर जा सकते है। सबसे निकटतम बस स्‍टैण्‍ड देवघर बस स्‍टैण्‍ड है। आप अपने साधन द्वारा भी बाय रोड वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग मंदिर जा सकते है। यहां के लिए बस की सुविधा भी उपलब्‍ध है। सरकारी और प्राइवेट किसी भी बस से जा सकते है। बस स्‍टेण्‍ड से आपको वैद्यनाथ मंदिर जाने के लिए टैक्‍सी, ऑटो मिल जाते है। आप अपने शहर से भी टैक्‍सी, कैब करके भी जा सकते है।

देवघर से पटना की दूरी: 230 किमी

देवघर से बोधगया की दूरी: 175 किमी

देवघर से कोलकाता की दूरी: 359 किमी

देवघर से रांची की दूरी: 250 किमी

 

वैद्यनाथ धाम यात्रा का सबसे अच्‍छा समय

आप झारखंड के देवघर में स्थित बैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग मंदिर जाने की सोच रहे हैं तो आप साल में कभी भी जा सकते है पर आपको बता दें कि यहां की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय ठंडी के मौसम में है। गर्मी के मौसम में यहां बहुत तेज गर्मी पड़ती है और मानसून में बारिश में यात्रा करने में समस्‍या हो सकती है। इसलिए अक्टूबर से मार्च के महीनों में इस पवित्र मंदिर की यात्रा करना उचित होगा।

 

देवघर में रुकने की व्‍यवस्‍था

आपको वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग मंदिर के पास ही रुकने के लिए होटल, धर्मशाला में आपको रूम मिल जाएंगे। बाबा वैद्यनाथ नगरी देवघर में 70 से भी ज्यादा होटल हैं। आपको आपके बजट के अनुसार यहां रूम मिल सकते है। मंदिर के ट्रस्‍ट का गेस्‍ट हाउस भी है, वहां भी आप रुक सकते हैं।

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देवघर में भोजन व्‍यवस्‍था

आपको मंदिर के आसपास ही भोजन की व्‍यवस्‍था मिल जाती है। यहां बहुत सारे होटल और रेस्‍टोरेंट है। आप यहां के स्‍थानीय भोजन के साथ अन्‍य प्रकार के भोजन का आनंद ले सकते है। यहां का स्‍थानीय भोजन जैसे पीठा, मालपुआ, चिलका रोटी आदि है। यहां आपको उत्‍तर तथा दक्षिण भारत सभी प्रकार के खाने का आप स्‍वाद ले सकते हैं। देवघर के पेड़े बहुत प्रसिद्ध हैं।

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देवघर मंदिर का रहस्य

वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग एक छोटा शिवलिंग है। वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग को कामना लिंग भी कहा जाता  है। ऐसा कहा जाता है कि यहां जो भी मनोकामना की जाती है वो अवश्‍य ही पूरी होती है। मान्‍यता है कि इस ज्‍योतिर्लिंग के दर्शन से समस्‍त पापों से मुक्ति मिलती है। और सभी रोग भी ठीक होते हैं। इसलिए ज्‍यादातर भक्‍तजन अपने रोग से मुक्ति की कामना करते है। देवघर में ज्‍योतिर्लिंग और शक्तिपीठ एक साथ है। इसलिए आप यहां शिव और शक्ति दोनों का एक साथ आशीर्वाद मिलता है।

 

वैघनाथ ज्‍योतिर्लिंग की कथा

प्राचीन कथा के अनुसार दैत्य राज रावण भगवान शिव को प्रसन्‍न करने के लिए कठोर तपस्‍या करने लगा। शिवजी को प्रसन्‍न करने के लिए अपने सिर काट के शिवजी को अर्पण करने लगा। 9 सिर काटने के बाद जब 10वां सिर वह काटने जा रहा था।  तब शिवजी प्रकट हुए। रावण के कठोर तपस्या से प्रसन्न हो कर वरदान मांगने को कहा तब रावण ने शिवजी को लंका में वास करने का वरदान मांगा। उस समय देवधिदेव महादेव ने उसे अपना आत्म लिंग प्रदान कर दिया, और यह शर्त भी रख दी की जिस भी स्थान पर ये लिंग धरती को छुएगा, तो यह वहीं पर स्थापित हो जायेगा। लेकिन रावण जैसे असुर को आत्म लिंग दिए जाने से माता पार्वती खुश नहीं थीं, और उन्‍हे यह चिंता भी थी कि रावण इस आत्म लिंग को प्राप्त करने से अजेय हो जायेगा। माता पार्वती की योजनानुसार वरुण देव रावण के कमंडल मे प्रवेश कर गए, और फिर बीच रास्ते रावण को लघुशंका की तीव्र इच्छा हुई, तब उसने अपने पुष्पक विमान को नीचे उतारा और वह एक निर्जन स्थान (देवघर ) पर पहुंचा, और तभी भगवान विष्णु चरवाहे के वेश मे वहाँ पहुँच गए। तब कोई उपाय न देखते हुए उस आत्म लिंग को रावण ने चरवाहे को सौंप दिया और जल्द लौटने का कह कर अपने को निवृत्त करने चला गया। फिर इस बीच चरवाहे ने शिवलिंंग को धरती पर रख दिया। जैसे ही वह शिवलिंग धरती को छुआ वह वहीं स्‍थापित हो गया। लघुशंका से लौटकर जब रावण वापस आया तो उसने शिवलिंंग को धरती पर रखा पाया, तब उसने शिवलिंग को उठाने का बहुत प्रयास किया पर वह शिवलिंंग को नहीं उठा पाया, तो उसे अपने साथ हुए छल का आभाष हुआ। तब उसने अत्यंत क्रोधित होकर शिवलिंग को अपने अंगूठे से दबा दिया, जिसके निशान आज भी इस शिवलिंंग पर हैं। और वह लंका वापस चला गया। फिर सारे देवता गण ने भगवान शिव के शिवलिंग की पूजा अर्चना की।

 

Baba Baidyanath Temple Timings

वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग में पूजा और दर्शन का समय

पट खुलना  सुबह 04:00 बजे

कांचा जल सुबह 04:10 बजे

पट बंद  दोपहर 02:00 बजे

पट खुलना  शाम 6:00 बजे

श्रृंगार पूजा शाम 6:10 बजे

पट बंद रात 8:00 बजे

 

बाबा बैजनाथ धाम का महत्व

सभी देवों का घर होने के कारण इस जगह को देवघर कहा जाता है।

देवघर में वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग मंदिर के साथ प्रागण में अन्‍य छोटे बड़े मंदिर मिलाकर 21 मंदिर और भी है।

देवघर में ज्‍योतिर्लिंग के साथ यहां शक्तिपीठ भी है। यहां माता सती का हृदय गिरा था। इस शक्तिपीठ को हृदयपीठ या हार्दपीठ कहा जाता है।

सभी मंदिर के शीर्ष पर पंचशूल लगे है। ये पंचशूल सुरक्षा कवच होते है। रावण की लंका में भी ये पंचशूल लगा था। पंचशूल प्राकृतिक आपदा से रक्षा करते है।

वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग मंदिर और पार्वती मंदिर के गुंबद में गठबंधन है।

हर साल शिवरात्री पर वैद्यनाथ और माता पार्वती के पंचशूल और गठबंधन को शिवरात्री के दो दिन पहले उतारा जाता है पंचशूलों का मिलन कराया जाता है विधि विधान से पूजा करके शिवरात्री के एक दिन पहले विधि वापिस लगा दिया जाता है। गठबंंधन को भी हटाकर नया गठबंधन किया जाता है। भक्‍तजन इन पंचशूलों का स्‍पर्श करते है और शिवजी और माता पार्वती से आशीर्वाद लेते है।

मंदिर का मुख पूर्व दिशा की ओर है। यह मंदिर 72 फीट ऊंचा है। इसके ऊपर तीन सोने के बर्तन गढ़े हैं।

 

श्रावणी मेला देवघर 2023

वैद्यनाथ धाम के देवघर में श्रावण के महीने में देवघर सावन(श्रावणी) मेला लगता है। जिसमें भक्‍तजन बिहार के सुलतानगंज की गंगा का पवित्र दो पात्रों में जल लाते हैं । एक पात्र का जल वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग पर चढ़ाते हैं और दूसरे पात्र का जल बाबा बासुकीनाथ पर चढ़ाते है। भक्‍तजन  सुलतानगगंज से पैदल देवघर तक जाते है। सुलतानगंज वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग मंदिर से लगभग 105 किलोमीटर दूर है।

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वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन कैसे करें

वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग मंदिर में श्रावण में सबसे ज्‍यादा भीड़ होती है और श्रावणी मेला भी लगता है।श्रावण के अलावा महाशिवरात्री और सोमवार को भी यहां बहुत भीड़ होती है। वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग के दर्शन के लिए पश्चिमी गेट से लाइन मे लगना होता है। लाइन में लगते हुए आगे बढ़ते जाते हैं। म‍ंंदिर में प्रवेश द्वार के बाहर लोहे का पिंजरा लगा है जिसमें से श्रद्धालुजन लाइन में चलते जाएंगे। लाइन में लगे हुए शिवजी को याद करते हुए ओम नम: शिवाय का जाप करते हुए और जयकारे लगाते हुए जाए। और ऐसे ही आगे बढ़ते हुए आप मंंदिर के अन्‍दर प्रवेश करेंगे जहां आप ज्‍योतिर्लिंग के दर्शन करेंगे। बाबा के लिए जो जल लाए है उसे संंभाल कर लाइन में लगे हुए गर्भग्रह में प्रवेश करके ज्‍योतिर्लिंग पर चढ़ाए, और उनसे मनोकामना करें।

मंदिर प्रागण में ताे मोबाइल ले जा सकते है पर गर्भग्रह में फोटो खींंचना मना है।

 

वैद्यनाथ मंदिर के साथ प्रांगण में स्‍थापित मंदिर

माँ पार्वती मंदिर, माँ जगत जननी मंदिर, लक्ष्मी नारायम मंदिर, गणेश मंदिर, ब्रह्मा मंदिर, संध्या मंदिर, काल भैरव मंदिर, हनुमान मंदिर, माँ सरस्वती मंदिर, सूर्य नारायण मंदिर, माँ मनसा मंदिर, माँ बागला मंदिर, राम मंदिर, माँ गंगा मंदिर, गौरी शंकर मंदिर, माँ तारा मंदिर, माँ काली मंदिर, आनंद भैरव मंदिर, नीलकंठ मंदिर, माँ अन्नपूर्णा मंदिर, नरवदेश्वर मंदिर

 

देवघर में घूमने की जगह, देवघर पर्यटन स्थल

वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग के दर्शन के बाद आप वहां आसपास के स्‍थानों पर घूम सकते है। देवघर के आसपास दर्शनीय स्‍थल है जहां पर आपको जाना चाहिए। ऐसे ही कुछ स्‍थानों के बारे में यहां बताया जा रहा है।

 

बासुकीनाथ मंदिर देवघर, झारखंड 

झारखंड के पर्यटन स्थलों में श्रेष्‍ठ है बासुकीनाथ मंदिर। बासुकीनाथ मंदिर वैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग मंदिर से लगभग 42 किलोमीटर दूर है। यह मंदिर  झारखंड के दुमका जिले के जरमुंडी गॉंव में यह मंदिर बना है। जो भक्‍तजन वैद्यनाथ मंदिर के दर्शन को आते है वह बासुकीनाथ मंदिर के दर्शन भी करते है। यह मंदिर शिवजी का मंदिर है। बासुकीनाथ मंदिर में शिवजी और माता पार्वती के मंदिर आमने-सामने है। जब शाम को दोनों म‍ंंदिरों के पट खुलते है तो यह शिवजी और माता पार्वती के मिलने का समय होता है। इस समय श्रद्धालुओं को दरवाजे से दूर को कहते है। बासुकीनाथ मंदिर में श्रावणी मेले के समय भक्‍तजनों की बहुत भीड़ होती है। बासुकीनाथ में अन्‍य देवताओं के मंदिर भी है।

 

नौलखा मंदिर देवघर, झारखंड 

झारखंड के लोकप्रिय स्थलों में से एक नौलखा मंदिर। झारखंड के देवघर में ही बाबा वैद्यनाथ मंदिर से लगभग 2 किलोमीटर दूर नौलखा मंदिर है। यह राधा कृष्‍ण का मंदिर है। इस मंदिर में देवताओं की लगभग 146 फीट ऊंची सुंदर मूर्तियां हैं। मंदिर के निर्माण में 9 लाख रुपये लगे थे, इसलिए  इस मंदिर का नाम नौलखा मंदिर पड़ा। यह नौ लाख रुपये कोलकाता की रानी चारुशिला द्वारा दिये गये थे।

 

नंदन पहाड़ देवघर, झारखंड 

झारखण्‍ड के देवघर का सबसे आकर्षक पर्यटक स्थल है नंदन पहाड़। एक पहाड़ी पर नंदन पहाड़ है जहां शिवजी, पार्वतीजी, गणेशजी और कार्तिकेय जी के मंदिर के साथ नंदी मंदिर बना है। नंदन पहाड़ वैद्यनाथ मंदिर से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर है। प्राचीन कथा के अनुसार, एक बार जब रावण ने जबरन शिवधाम में प्रवेश की कोशिश की थी, तब वहां के रक्षक नंंदी जी ने रावण को रोका तो रावण ने गुस्‍सा होकर नंदी को पहाड़ी पर फेंक दिया इसलिए इस पहाड़ी का नाम नंदन पहाड़ पड़ा। यहां से सुर्योदय और सुर्यास्‍त का खूबसूरत नजारा दिखता है। इस पहाड़ी पर एक मनोरंजन पार्क बना है और इस पार्क में नौका विहार, खेल का मैदान, स्‍वीमिंग पुल है। यह पिकनिक के लिए अच्‍छी जगह है।

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तपोवन पर्वत देवघर, झारखंड 

तपोवन पर्वत देवघर झारखण्‍ड की घूमने की सबसे खास जगह है। तपोवन पर्वत वैद्यनाथ मंदिर से लगभग 13 किलोमीटर दूर है। यहां पर शिवजी का तपोनाथ महादेव का मंदिर है। यहां एक दरार वाली चट्टान है। ऐसा कहा जाता है कि इस चट्टान में भगवान हनुमान जी का चित्र देखा जा सकता है। पर्वत के नीचे एक जलकुंड है। ऐसा कहते है कि माता सीता इसमें स्‍नान करती थीं। इसलिए इसे सीता कुंड कहा जाता है।

 

त्रिकुट पहाड़ देवघर, झारखंड 

देवघर का प्रमुख स्थान है त्रिकुट पहाड़। देवघर से त्रिकूट पर्वत 10 किलोमीटर दूरी पर है। पर्वत की चढ़ाई पर घने जंगल में प्रसिद्ध त्रिकुटाचल महादेव मंदिर है। और ऋषि दयानंद का आश्रम भी है। इसलिए यह त्रिकुटाचल के नाम से भी प्रसिद्ध है। यहां पर रोप वे से पर्वत की शीर्ष चोटी पर पहुंच सकते है। यहां आप ट्रेकिंग करके भी जा सकते है। यह पिकनिक के लिए अच्‍छी जगह है।

 

सत्‍संग आश्रम देवघर, झारखंड 

देवघर का एक प्रमुख आकर्षणों में है सत्‍संग आश्रम। यह वैद्यनाथ मंंदिर से लगभग 6 किलोमीटर पर स्थित है। आश्रम में संग्रहालय और चिड़ियाघर है। जिन्‍हें पर्यटक देखने आते है। आश्रम के आवास की सुविधा उपलब्‍ध है। आश्रम में रुकने के लिए कमरे मिल जाते है कमरे आप ऑनलाइन भी बुक कर सकते है। सत्संग देवघर की यह मुख्य शाखा ठाकुर अनुकुलचंद्र द्वारा शुरू की गई है। आश्रम के पास एक रसोईघर है जिसमें खाने के पैसे नहीं लेते हैं, और उसे आनंदबाजार कहते है।

 

रिखीया आश्रम देवघर, झारखंड 

देवघर में घूमने की जगह में रिखीया आश्रम भी है। यह बाबा बैद्यनाथ मंदिर से 12 किमी दूर स्थित है। रिखियापीठ को श्री श्री पंच दशनाम परमहंस अलखबरह भी कहते है, और यह देश के सबसे पुराने योग आश्रमों में से एक है। इसकी स्‍थापना स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने की थी। इस आश्रम में कई संत रह चुके है, और यह स्‍वामी सत्‍यानंद का तप स्‍थान है इस कारण यह तपोभूमि के रूप में भी जाना जाता है।

 

देवघर, झारखंड में शॉपिंग

देवघर बाबा बैधनाथ धाम मंंदिर के आसपास ही आपको कई दुकानें मिल जाएगी यहां से आप खरीददारी कर सकते हैं। यहां आपको हर तरीके का समान मिल जाएगा। आप यहां के बाजारों में भी जाकर शाॅपिंग कर सकते है। यहां आपको कई चूड़ियों की दुकान देखने को मिल जाएंगी। जहां आप एक से बढ़कर एक चूड़ियॉं खरीद सकते है।

 

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