एडम्स पीक के बारे में

एडम्स पीक, श्रीलंका में सबसे ज्यादा जाने वाले स्थलों में से एक है। ये ,243 मीटर ऊंचा एक विशाल शंक्वाकार पर्वत है, जिसके शीर्ष पर एक पवित्र पदचिह्न (पदों के निशान) है। यह बौद्धों, ईसाइयों, मुसलमानों और हिंदुओं के लिए एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल भी है और हर साल, हजारों धार्मिक भक्त यहां आते हैं।

बता दें, ये श्रीलंका की सातवीं सबसे ऊंची चोटी है, जिसे श्री पद (पवित्र चरण) और समानाला कांडा (बटरफ्लाई माउंटेन) के नाम से भी जाना जाता है। एडम्स पीक एक तीर्थ स्थल होने के अलावा, दुनियाभर में ट्रैकिंग के लिए जाना जाता है। हर साल टूरिस्ट यहां पर बड़ी संख्या में ट्रेकिंग करने आते हैं।

एडम्स पीक पर है एक मंदिर

 

एडम्स पीक पर है एक मंदिर

इस पहाड़ पर एक मंदिर है, जहां पैरों के निशान के लिए मशहूर है। हिंदू धर्म की मान्यता के मुताबिक, यह पैरों के निशान भगवान शिव के हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव मानव जाति को जब अपना दिव्य प्रकाश देने आए थे, तो यही प्रकट हुए थे। इसलिए इसे सिवानोलीपदम (शिव का प्रकाश) भी कहा जाता है। हालांकि पैरों के निशान को लेकर अलग- अलग धर्म समुदाय के लोग अपनी-अपनी मान्यताओं में आज तक उलझे हुए हैं।

 

रामायण काल से कैसे जुड़ा है इतिहास

 

READ THIS POST ALSO :   ये हैं मंडी के बेस्ट टूरिस्ट प्लेस, जाने के बाद लौटने का नहीं करेगा मन – News18 हिंदी
रामायण काल से कैसे जुड़ा है इतिहास

जब भगवान राम, माता सीता को श्रीलंका से लेने आए थे, तो राम-रावण के बीच युद्ध में लक्ष्मण घायल हो गए थे। उस वक्त उनके प्राण सिर्फ संजीवनी बूटी से ही बचाए जा सकते थे, जिसे लाने का काम हनुमान को दिया गया था। हनुमान संजीवनी बूटी को पहाड़ों पर खोजते रहे, लेकिन उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था। तब उन्होंने पहाड़ के एक टुकड़े को ही ले जाने का फैसला किया था। मान्यताओं के अनुसार यह वही पहाड़ है। हालांकि बाद में हनुमान संजीवनी बूटी लाने में सफल रहे थे।

 

यहां ट्रैकिंग करने से पहले जान लें ये जरूरी बात

 

यहां ट्रैकिंग करने से पहले जान लें ये जरूरी बात

एडम्स पीक तक पहुंचने के लिए तीन मुख्य रास्ते हैं, हटन, रतनपुरा और कुरुविता। एडम्स पीक पर चढ़ाई पारंपरिक रूप से रात में की जाती है, जिससे आप भोर होने से पहले ही शिखर पर पहुंच सकते हैं और सनराइज देख सकते हैं। यहां का सनराइज देखकर ऐसा लगेगा, जैसे आप स्वर्ग में आ गए हों।

अगर आप यहां पर ट्रैकिंग करना चाहते हैं, तो सलाह दी जाती है कि गाइड से रास्ते के बारे में जरूरी जानकारी जरूर लें, ताकि ट्रैकिंग के दौरान किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। वहीं अधिकांश टूरिस्ट तीर्थयात्रा के दौरान पहाड़ पर ट्रैकिंग हैं, जो दिसंबर या जनवरी से शुरू होता है और मई महीने तक जारी रहता है।

इस सीजन के दौरान पहाड़ पर मौसम सबसे अच्छा होता है, और एडम्स पीक पर साफ सुबह की संभावना सबसे अधिक होती है। अगर आप यहां पर ट्रैकिंग कर रहे हैं, तो आपको बता दें, एडम्स पीक तक पहुंचने के लिए 7 किमी की कठिन चढ़ाई (वहां लगभग 5500 सीढ़ियां हैं) पूरी करनी होती है। वहीं थकान उतारने के लिए आपको छोटी-छोटी चाय की दुकानें मिलेगी, जो रात भर खुली रहती हैं।

READ THIS POST ALSO :   न होगी सजा... न होगी जेल, यहां जाते ही दुश्मनों का हो जाएगा खेल

 

हर धर्म के मानने वालों के लिए एक पवित्र स्थान है?

 

हर धर्म के मानने वालों के लिए एक पवित्र स्थान है?

एडम्स पीक को लेकर हर धर्म की अपनी मान्यताएं हैं। बौद्ध धर्म के अनुसार, चोटी के ऊपर जो पदचिह्न भगवान बुद्ध का है। हिंदू इसे शिव का पदचिह्न मानते हैं। पुर्तगालियों के अनुसार यह सेंट थॉमस द एपोस्टल का पदचिह्न है। वहीं, मुस्लिम और ईसाई मानते हैं कि यह पदचिह्न पैगंबर एडम का है। उनका मानना है कि जब पैगंबर एडम को स्वर्ग से निकालकर दुनिया में लाया गया, तो वे श्रीलंका की इस चोटी पर उतरे थे।

 

Source link


Discover more from MakeMaTrip

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply

x
error: Content is protected !!
Scroll to Top

Discover more from MakeMaTrip

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading

Enable Notifications OK No thanks