ऐसा माना जाता है कि जो महिला इस मंदिर में दर्शन कर ले, वो यहां सात जन्मों तक विधवा रहती है। हालांकि ये कितना सच और है कितना झूठ, ये तो कोई भी नहीं बता सकता। ;यकीन मंदिर के बाहर भी हिंदी, पंजाबी और अंग्रेजी भाषा में बोर्ड लगा हुआ है, जहां साफ-साफ महिलाओं के लिए चेतावनी लिखी गई है। चलिए आपको बताते हैं इसका असली कारण। (सांकेतिक फोटो साभार: AI)
(नीचे सभी सांकेतिक फोटो)
कार्तिकेय मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी
भगवान शिव के बेटे कार्तिकेय जी के अनेकों मंदिर भारत में देखे जा सकते हैं। खासकर दक्षिण भारत में स्वामी कार्तिकेय जी के अनेकों मंदिर हैं, लेकिन जहां स्वामी कार्तिकेय जी की पूजा की जाती है, वहां महिलाओं का जाना वर्जित है। और ये मंदिर पिहोवा के सरस्वती तीर्थ पर स्वामी कार्तिकेय के नाम से जाना जाता है, जिसमें महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी लगाई है, इसका कारण स्वामी कार्तिकेय जी का स्त्री को श्राप देना है।
तो ये थी वजह
भगवान शंकर और माता पार्वती ने अपने दोनों बेटों कार्तिकेय और गणेश जी को पृथ्वी का चक्कर लगाने के लिए कहा, उस दौरान कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठकर पृथ्वी का चक्कर लगाने के लिए चल पड़े, लेकिन गणेश जी माता पार्वती और शंकर जी के चक्कर लगाने लगे।
तीन चक्कर लगाकर उन्होंने माता-पिता को प्रणाम किया और कहा कि मैंने संपूर्ण जगत की परिक्रमा कर ली है। शंकर जी ने गणेश का राजतिलक किया और शुभ-अशुभ कार्यों में पूजा का अधिकार दिया। उधर नारद जी ने जब कार्तिकेय को सब बताया, तो कार्तिकेय परिक्रमा पूरी कर माता पार्वती से सारा हाल जान बोले, माता आपने मेरे साथ छल किया है। बड़ा होने की वजह से राजतिलक का अधिकार मेरा ही था।
क्रोधित होकर कार्तिकेय ने किया ये काम
क्रोधित होकर कार्तिकेय ने अपनी खाल और मांस उतारकर माता के चरणों में रख दिए। और पूरी नारी जाती को श्राप दिया कि मेरे इस रूप के जो स्त्री दर्शन करेगी, वो सात जन्म तक विधवा रहेगी। तभी देवताओं ने उनकी शारीरिक शांति के लिए तेल और सिंदूर का अभिषेक किया, जिससे उनका गुस्सा शांत हुआ और शंकर जी और दूसरे देवताओं ने कार्तिकेय को देव सेना का सेनापति बना दिया। इसी मान्यता को देखते हुए यहां केवल पुरुष ही कार्तिकेय के पिंडी रूप के दर्शन कर सकते हैं। महिलाएं यहां दर्शन नहीं कर सकती।
नवजात बच्ची भी नहीं जा सकती अंदर
कार्तिकेय ने जब श्राप दिया तो वो केवल महिलाओं के लिए पूरे संसार की महिला जाति के लिए था। इसलिए यहां केवल खास तौर पर महिलाओं के जाने पर पाबंदी लगी हुई है, तो वहीं नवजात बच्ची के भी मंदिर जाने पर पाबंदियां लगी हुई हैं। कार्तिकेय के भारत में और दो मंदिर हैं, जो काफी ज्यादा फेमस हैं, लेकिन ये एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां मंदिर के प्रांगण में महिलाओं के जाने पर पूरी तरह से पाबंदी लगी हुई है।
पति की हुई थी मौत
यहां के लोगों का दावे के साथ कहना है कि आसपास के एक गांव की महिला ने कार्तिकेय के पिंडी रूप में दर्शन कर लिए थे और कुछ समय बाद ही पति की मौत हो गई। हालांकि हम इस बात की पुष्टि नहीं करते कि उसकी मौत कैसे हुई, लेकिन सभी का मानना है कि महिला ने कार्तिकेय के मंदिर में पिंडी रूप में दर्शन किए थे, जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई थी। यही वजह है यहां महिलाएं दर्शन करने से डरती हैं।
कैसे पहुंच सकते हैं कार्तिकेय मंदिर
सड़क मार्ग से:
दिल्ली से दूरी: लगभग 180 किलोमीटर।
दिल्ली, चंडीगढ़, या आसपास के शहरों से पिहोवा के लिए बस या टैक्सी उपलब्ध हैं।
पिहोवा पहुंचने के बाद, आप स्थानीय ऑटो रिक्शा या टैक्सी के माध्यम से मंदिर पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग से:
पास का रेलवे स्टेशन: कुरुक्षेत्र जंक्शन (लगभग 30 किमी दूर)।
कुरुक्षेत्र स्टेशन से पिहोवा के लिए टैक्सी या बस द्वारा सफर कर सकते हैं।
हवाई मार्ग से:
पास का हवाई अड्डा: चंडीगढ़ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (लगभग 110 किमी दूर)।
हवाई अड्डे से टैक्सी या बस के माध्यम से पिहोवा पहुंच सकते हैं।
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